सावन
सावन
सावन के मौसम में देखो
छाई धानी चुदरिया।
मन मेरा भी गाये रे
तन मेरा भीगा रे
पानी की बूंदों से
बनी मुतियन की माल।
गोरी के हाथों में हरी हरी चूडियां
हाथो में मेहंदी लगी ,
गहरी लाल लाल
बागों में कोयल छेड़े मधुर मधुर राग
मयूर भी नाचे ऐसे में
दे-दे के ताल।
मदमस्त हवा भी
लहराती चुनरिया लाल,
गोरी का मन तरसे
बारिश की मस्त मनुहार।
ऐसे में कोई आये
दूर कहीं ले जाये।
जीवन में आये बहार
चलो झूमो नाचो गाओ आज।
सावन मे बरसे है
वर्षा की देखो फुहार।

