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Nandita Tanuja

Romance

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Nandita Tanuja

Romance

मैं रुह बन तुममें जीती हूं

मैं रुह बन तुममें जीती हूं

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होता है कभी-कभी तुम पागल ..हवा सा बन के बहते हो...

कभी धूप कभी छांव संग रेत की तरह.. मैं तुम में उड़ती हूं...


आसमां में दूर तलक तेरे इश्क में.... मैं पतंग सी फिरती हूं..

कभी तुम डोर बन के करार... साथ-साथ यूं थिरकते हो...


खामोश फ़िजा के तुम हमसफर..... चांद बन के दिखते हो..

कभी बादलों की ओढ़ चुनरियां... मैं चांदनी तुमसे मिलती हूं..


सांसों के बंधन में तुम हो साज़.... मैं दिल बन धड़कती हूं...

कभी रात के तुम सरताज़ और.... ख्वाहिशों को कहते हो....


अहसास से मिले हो तुम जीवन.... वजूद अपना इश्क देते हो..

कभी वफ़ा में निखरकर अपने.... मैं रुह बन तुममें जीती हूं....!!



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