भयावह होता है ये आदमजात बता ना ऐ ज़िंदगी क्यूँ आऊँ थी...! भयावह होता है ये आदमजात बता ना ऐ ज़िंदगी क्यूँ आऊँ थी...!
शहर के उस पार उस सुनसान हवेली में नहीं जाता कोई पूर्णमासी रात में। शहर के उस पार उस सुनसान हवेली में नहीं जाता कोई पूर्णमासी रात में।