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Dr Reshma Bansode

Horror Tragedy

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Dr Reshma Bansode

Horror Tragedy

राह

राह

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रात का सुना अंधेरा और कोहरा,

वैसे रोज इसी राह से गुजरती हूँ।

आज कुछ अलग महसूस हुआ,

हवा कुछ ज्यादा ही बर्फीली है,

एक आहट सुनाई दी,

मुड़कर देखा ...

मोती आज कई दिनों बाद मेरे पीछे आया,

उसको भी इसी राह की आदत थी।

हम दोनो रोज इसी राह से गुजरते थे।


धुंध कुछ ज्यादा ही गहरी है,

कहा जा रही हूं नजर नही आ रहा,

लेकिन आदतन कदम बढ़ रहे हैं. .

आवाजे फिर से शुरू हो गई..

बहुत शोर था,

जैसा रोज होता है ..

देह टूटने लगा,

मैं रो पडी..

आज फिर रुला दिया इस शोर ने।

हर रोज मैं इसी राह से गुजरती हूँ।


तरस नही आता इन आवाजों को।

हर रोज मुझे बेबस करते हैं।

शफ्कत नही इन्हे थोड़ी भी,

शायद मैंने ही कुछ गलत किया था ?

 यही सोचकर, हर रोज इसी राह से गुजरती हूँ।


रात का ये सुना अंधेरा,

चुभता हुआ ये सर्द कोहरा,

अपनी ही जोफ़ में कैद मैं ...

दीवार को ताक रही थी, हमेशा की तरह।

मैं हर रोज इसी राह से गुजरती हूँ।


मेरा रहनुमा आज फिर आया,

कुछ परवीन जैसा मेरे हथेली में रख दिया..

"खा लो,बेहतर महसूस होगा" 

कह कर मुझे फिर दूसरे अंधेरे में छोड़ दिया।

यहां पर शोर नहीं है,

सिर्फ मैं और मेरा मोती,

हम दोनो हर रोज इसी राह से गुजरते हैं।


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