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Akanksha Gupta (Vedantika)

Drama Horror Inspirational

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Akanksha Gupta (Vedantika)

Drama Horror Inspirational

जंगल में अमंगल

जंगल में अमंगल

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एक घना सा जंगल था

वहां घटा अमंगल था

सच की तलाश में थे हम

बड़ा भयानक मंजर था

चमगादड़ थे चीख रहे

और नाग थे रेंग रहे

सिट्टी पिट्टी गुम हमारी

बचने की थी सोच रहे


तब गूंजी हँसी भयंकर

बदल गया था पूरा मंजर

आत्माओं का डेरा था

चारों ओर से घेरा था

हवाएं जोर मार रही

पेड़ो को उखाड़ रही

अटकी साँस हमारी ऐसे

जैसे बचेगी जान नहीं


एक ने गला हमारा पकड़ा

लताओं में हमको जकड़ा

हवा में था हमें उछाला

बना लिया हमें निवाला

फिर होश हमें था आया

चारों ओर था डर का साया

उसकी हँसी थी शैतानी

जंगल था वो कब्रिस्तानी


एक अजन्मी काया थी

या ईश्वर की माया थी

कन्या के शत्रु को आखिर

सजा दिलाने आई थी

उसे यकीन हमने दिलवाया

मैं भी हूँ कन्या उसे बताया

छोड़ कर गई वो इतना कहकर

रहना इंसानी शैतान से बचकर



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