STORYMIRROR

Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Horror Romance Classics

4  

Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Horror Romance Classics

कलम......एक ख्वाब

कलम......एक ख्वाब

1 min
276

बालक थे जब पकड़ी,

लिखने को कलम हाथ,

नमन करता कलम को,

निभाया मेरा बड़ा साथ।


मां बाप ने भेजा स्कूल,

लिखना किया था शुरू,

आदेश मिले वो लिखा,

सम्मुख होते थे मेरे गुरु।


बचपन में पढ़ते स्कूल,

पढऩे की बेला वो छाई,

कलम ने ख्वाब दिखाये,

लो आज घड़ी वो आई।


रखा पैर युवा अवस्था,

कलम बनी एक ख्वाब,

लिख लिख भेजा काव्य,

तन-मन पर आई आब।


उद्यम की जब तड़प थी,

बनकर उभरे कलमकार,

नहीं तोप तलवार हाथ में,

कहाये हम एक पत्रकार।


समय मिला कुछ लेखन,

बनी ख्वाबों की तकरार,

गद्य,पद्य लेखन खूब कर,

लो बन गये साहित्यकार।


कभी लेखक तो पत्रकार,

कहते कभी साहित्यकार,

ख्वाबों का घरौंदा बनाया,

मिला अनमिट जहां प्यार।


27 कृतियों की रचना की,

बढ़ता गया कलम से प्यार,

कलम.....एक ख्वाब से,

तब चले तीर पे तीर हजार।


कितने ही बने जग दुश्मन,

कुछ का मिला था सहारा,

कुछ दोस्त दुश्मन बन गये

एक दुश्मन बन गया प्यारा।


कलम की ताकत पहचानी,

घाव कर दे तन पर हजार,

गोला, बम,बारुद बने बौने,

तोप हारी, हारी है तलवार।


नमन करे उस कलम को,

ख्वाब जिसने सिखलाये हैं,

विषम परिस्थितियों में जी,

एक नया सवेरा ले आये हैं।


अब कलम...एक ख्वाब है,

सजती धजती मेरे ही हाथ,

जिस दिन कलम छूट जाये,

लगता हूं जगत बड़ा अनाथ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Horror