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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Horror Classics Thriller

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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Horror Classics Thriller

देर होगी आने में

देर होगी आने में

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201

तीर्थयात्रा पर चला,

भीड़ लगी नहाने में,

करना पड़ेगा इंतजार,

यूं देर होगी आने में।


कुंभ मेला है प्यारा,

तीर्थ है नमन हमारा,

बुला रहा है हरिद्वार,

खुलता भाग्य हमारा।


लंबा सफर होता है,

मन बार बार रोता है,

कभी कभी इंसान तो,

घोड़े बेचकर सोता है।


पार्टी होगी दफतर में,

कई व्यंजन हैं खाने में,

नृत्य कार्यक्रम चलेगा,

यूं देर लगेगी आने में।


मार पीट हो चुकी अब,

वक्त लगेगा समझाने में,

नहीं पता क्या हाल हो,

देर हो सकती आने में।


स्कूल में खेल चलेगा,

विद्यार्थी होंगे खिलाड़ी,

समय के साथ चलना,

बनना नहीं तुम अनाड़ी।


झगड़ा कभी हो जाता,

देरी सदा कारण होता,

समय कभी चुक जाये,

जन सुबक सुबक रोता।


मित्र से मिलने जाता,

वचनबद्धता ये मेरी है,

बातें खुलकर ही करें,

यूं होगी मुझको देरी है।


सीमा पर पहरा देना है,

अनेकों कष्ट सहना है,

लंबे समय तैनाती होगी,

देश वीर का कहना है।


बड़ी दुर्घटना घटी जब,

समय लगा बचाने में,

अस्पताल में घूम रहा,

देर हो गई तब आने में।


नाराज बैठा मेरा साथी,

समय लगेगा मनाने में,

नहीं पता कैसे वो माने,

यूं देर लगेगी आने में।


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