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Hoshiar Singh Yadav Writer

Horror Romance Classics

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Hoshiar Singh Yadav Writer

Horror Romance Classics

मन में कोई दुविधा मत रखो

मन में कोई दुविधा मत रखो

1 min
197


विषय-मन में कोई दुविधा मत रखो

विधा-कविता

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हँसो, खेलो,कूदो, मुस्कुराओ,

सुख दुख हरदम स्वाद चखो,

दूसरों की सहायता कर देना,

मन में कोई दुविधा मत रखो।


काम करो सदा सोच समझ,

वरना पड़ जाता है पछताना,

जो रूठकर जाना चाहते हो,

बस उन्हें प्यार से समझाना।


राह चलना सदा हँसते गाते,

देश विकास का एक तराना,

आगे बढऩे की ललक रखो,

एक दिन याद करेगा जमाना।


पाप कर्म जो करता जगत में,

हो जाता जन का जरूर नाश,

आजादी मिली हमको प्यारी,

बनकर नहीं रहना कभी दास।


संसार में कुछ करने को आये,

पाप कर्म में कभी नहीं गंवाये,

दाता का निर्मित किया संसार,

होठों पर ये खुशियां गुनगुनाये।


सरस,रसधार मन में रखना है,

पाप, नीच, अधम मत बनना,

खुद भी बढ़ों औरों को बढ़ाए,

बस दिल में ताना बाना बुनना।


सिकंदर जैसे कितने ही आये,

एक दिन उनका सूर्य भी अंत,

बस चार दिनों की जिंदगी है,

कह गये कितने ही साधु संत।


मन में कोई भी मैल नहीं हो,

सलिल गंगा सा पावन जीवन,

हँसते हुये गुजारे जो जिंदगानी,

करनी नहीं जगत में मनमानी।


आशा अरु विश्वास अडिग हो,

मंजिल पर चलते ही जाना है,

लाख हजार कोस बेशक दूरी,

एक दिन वह मंजिल पाना है।


धर्म मार्ग की नींव होती पक्की,

कभी नहीं जग बनना है शक्की,

आदत हो बस भागीरथ प्रयास,

दृढ़ संकल्पित हो मन विश्वास।


कौन जहां में किसको चाहता,

याद सदा रहे जन की हिम्मत,

सुख दुख को जो सम मानता,

नहीं होगी कभी इंसान दुर्गत।


आओ मंजिल की ओर चलें,

कभी मनमाने न विचार बको

कहना है तो बस करना होगा,

मन में कोई दुविधा मत रखो।


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