पूरे चाॅंद का क़हर
पूरे चाॅंद का क़हर
पूनम का चाॅंद जाने कैसे-कैसे जुल्म ढाता है,
किसी को मून-मैड किसी को वर्वुल्फ़ बना जाता है,
प्रेमी युगलों के लिये वरदान है चाॅंद
विरही जनों के लिए दुःख का सामान है चाॅंद
चाॅंद के निकलने पर बहुत घटनायें होती हैं
जो चुपचाप घटती हैं, जल्दी समझ नहीं आती हैं
पर कुछ लोगों पर क़यामत ढा जाती हैं
पूनम की रात में ड्रेकुला सक्रिय होते हैं
जंगल के खूँखार भेड़िए , ड्रैकुला के मित्र होते हैं
समय- समय पर उनके सन्देश
पूरे चाॅंद के सामने गुर्रा के देते हैं
यह सन्देश बहुत दूर तक पहुॅंचते हैं
जिनमें कितनों की मौत के फ़रमान होते हैं
संदेशों में जिन शिकारों के नाम होते हैं,
ड्रेकुला के भोग के फंदे में आ जाते हैं,
प्यार के सम्मोहन से उन्हें बेसुध कर देते हैं
गले में दाॅंत गड़ा, खून चूस लेते हैं,
लोग मर जाते हैं, असमय जुदा हो जाते हैं
मौत की वज़ह भी लोग समझ न पाते हैं
बस रोते हैं, तड़पते हैं ... चिल्लाते हैं
ड्रेकुला के शिकार जब कब्र में पहुॅंचते हैं,
'ग्रिम-रीपर' उनकी आत्मा ख़ुद लेने आते है,
सभी तर जाते हैं और जन्नत में जगह पाते हैं।