हाय कोरोना
हाय कोरोना
कोरोना बीमारी बन गयी महामारी
लाखों गुज़र गये , सात-आठ, चिता चढ़े
कोहराम मचा था, लॉकडाउन लगा था
घर में ही रहने का आदेश हुआ था
काम-काज ठप्प था रोज़गार नष्ट था
श्रमिक और निर्धन का राशन भी ख़त्म था
कितने कोरोना के रोग से मर गये,
कितने ग़रीब भूख, फाके से टूट गये
धंधा दिहाड़ी के अवसर थे सूखे
जनता, विपक्ष , सरकार से रूठे
डॉक्टर परेशान थे, लोग बीमार थे,
कोरोना वॉरियर, काम से हलकान थे
अर्थतंत्र घायल था, संसाधन घटे थे
वायुयान, ट्रेन, बस चलते ही नहीं थे
उपचार खोजते शोधार्थी थके थे
जनता को रोकने में, पुलिस-बल लगे थे
दवा कोई नहीं थी, टीके भी नहीं थे...
दवा के प्रयोग सभी व्यर्थ हो रहे थे
अन्त में वैक्सीन भी मिल गयी थी
सारे संसार में आस कुछ जगी थी
वैक्सीन लगी जब, जनता ने साँस ली
सावधानियांँ सभी पल में बिसार दीं
घटा है कोरोना पर ख़त्म नहीं हुआ है
सजगता को त्यागने का वक़्त नहीं हुआ है
एहतियात रखना की अभी है मजबूरी
दो ग़ज़ की दूरी और मास्क है ज़रूरी।