माँ
माँ
(अष्ट अक्षर में )
नतमस्तक, करता ।
ईश्वर माँ जननी को ।
जन्म लेता बार बार ।
प्यार ममता पाने को ।
आँचल में स्नेह भर ।
छाँव देतीं हर पल ।
नहीं आने देती आँच ।
समर्पित भाव तल ।
विश्वास है स्थित प्रज्ञ ।
जल जैसा है निर्मल ।
स्पर्श होता भाव पूर्ण ।
माँ की माया है कोमल ।
माँ के चरण में होता ।
चारों धाम तीर्थ स्थल ।
क्यूँ भटकता इन्सान ।
बटोरने पुण्य फल ।
देवी हैं भूमंडल की ।
मनोबल की है ढाल ।
सिखाती उंगली धर ।
बढ़ाती हैं आत्मबल।
गुरु होती हैं प्रथम।
देती सृजन का पाठ।
अमृत घड़ा हृदय में।
है मन में, शक्ती पीठ ।
© डॉ. ज्योती नागपूरकर