जीने की राह
जीने की राह
समझौता करके जीना एक कला होती है।
माना,खुद से बेवफाई बेहिसाब होती है।
अपनोसे अनजान बनना बडी बात नहीं।
धुंढ लेती आँखें वो, जिसे चाहत होती है।
गजब किस्सा याद आता, दिल के कोनोमें।
आँखें मुंद कर , मन की बात सुननी होती है।
हरदम पिछा करती, कडघरेमें खडा करके।
दुखभरी पिडा जो , सहनेकी ताकद नही होती है।
सपना हरा भरा हो तो, मनपसंत भाव आता।
नकल कर-करके बता देना, सच्ची बात होती है।
मनको राहत ना मिले सही , हर दुजे की खुशीमें।
गम ना भरना उस झोलीमें, जिसकी खुशी होती है।
लाख करे चतुराई, लेखा कर्मका ना चुके; कहे कबीर।।
ईमानी किसी दूसरे की, अपना हक खुदगर्जी होती है।।
