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Jyoti Nagpurkar

Inspirational

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Jyoti Nagpurkar

Inspirational

पंछी

पंछी

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फैलायें पंख चली मैं

दाना टिपने बन बन

पाऊँगी उस स्वाद को

चोंच सें मैं चुनचुन


जहाँ धरती हरी भरी

आसमॉं निल श्यामल

झुलाती हैं ये डालीयॉं

हरे पत्ते बनकर ऑंचल


सुनाती है हर लहर

गीत झनक झनक

वो मदभरी कस्तूरी

गंध महक महक


जैसे लुभाता पवन

जीने की लालत भर

सब में मिल भी जाओ

मिले ये सुहाना सफर।।



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