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Jyoti Nagpurkar

Abstract

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Jyoti Nagpurkar

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दुनियादारी

दुनियादारी

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युगों युगों से चल रही , दुनियादारी की है कहानी।

जनम और मरना, यही सच्चाई की है कहानी।


प्यार बाँटने के लिये वक्त नही हमारे पास ।

लक्ष्य हमारा लढना नही, पर संघर्ष की है कहानी।


अहम् का ताज पहनकर दिखावा करता ।

असल में कमजोर मन,होने की निशानीं है कहानी।


जीवन बहुत सुंदर बनाया ही है ईश्वरने ।

इन्सान ने इन्सानियत का , पाठ छोडने की है कहानी।


लोककल्याण करना सहिष्णुता सिखाती हमें ।

हर बात पर अपना ही हक, जताने की है कहानी।


निजी स्वार्थ उपजकर अपनी मंजिलको देखना ।

दूजे से लड़कर खुद को,साबित करने की है कहानी।


शिक्षा का महत्व जरूर बढ़ गया उंचाई से ।

मिलनसार,निस्वार्थ भाव का ; अभाव की है कहानी।


आज के दौर में दौडता बहूत है प्रतिद्वंद्विता में।

स्वाभिमान मरोडकर, खुर्सी टीकानें की है कहानी।


मेरा देश महान करके बहूत प्यार है भारत माँ से।

अपनी बुद्धीमत्ता , परदेश मे बेचने की है कहानी।


© डॉ. ज्योती नागपूरकर


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