सर सलामत तो पगडी पचास
सर सलामत तो पगडी पचास
खबरदार अगर मास्क निकालकर चलोगे रास्ते पर
बहुत होशियार बनकर क्यों होते हो उदार जान पर।
भूल गये क्या बाहर है कोरोना का संकट भयंकर
ना जतावो लापरवाही इतनी सब आसान समझकर।
समझोगे बलवान खुदको फिर भी गिरोगे पीठ पर
पता भी न चलेगा आयेगा कब कोरोनाका वह ज्वर।
मृत्यु को ही आमंत्रित करोगे खामखा मरीज बनकर
मत समझना हिरो तूम खुदको हो जाओ समझदार।
सरकारी नियमों पालन करो अच्छे नागरिक बनकर
रहो सुरक्षित खुद और रखो समाज को भी बेहतर।
सभी नियमों का पालन करके मात करो कोरोना पर
"सर सलामत तो पगडी पचास" थानलो दिमाग पर।