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Amita Dash

Abstract Horror

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Amita Dash

Abstract Horror

लम्हें जिन्दगी के

लम्हें जिन्दगी के

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था कोई रुह!!!


अंधेरी रात

सुनसान सड़क

मैं और मेरा साइकिल

ऑफिस से लौट रहे थे

घर के तरफ़

लौटने का मेरा यही है समय

सुन, सुन पीछे से बुलाने की आवाज़

पीछे मुड़ के देखने की डर

रास्ते में पड़ता है श्मशान

फिर आ गया थोड़ी दूर

साइकिल पीछे से कोई खिंचने का शब्द

कुछ अनहोनी का एहसास

मन में था साहस

मेरे साथ मेरे मां का है आशीर्वाद

जब घर हुआ निकट

पतली गली में वो लगाया दौड़

शायद कोई तीसरा था मेरे साथ

रुह या जानवर!

आज तक ये बात था मेरे समझ के बाहर



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