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Amita Dash

Tragedy

3  

Amita Dash

Tragedy

लम्हें जिन्दगी के

लम्हें जिन्दगी के

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लम्हा गुज़र गया

जिंदगी भी गुजर गई

कोई गुज़र नहीं गया

तो वो हूं मैं

सब कुछ तो वैसे ही वैसे

पहले था जैसे

सुबह होती है

शाम ढलती है

एक साल से दो साल

दो साल से चार

कब तक इंतज़ार

शब्द नहीं क्या बयां करूं

कैसे कटते दिन रात

ये छटपटाहट ये व्याकुल मन

मेरे बेटे को लौटा दो भगवान



ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

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