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Dr. Anu Somayajula

Horror

4  

Dr. Anu Somayajula

Horror

बेनाम साए

बेनाम साए

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रात आधी

जलती हुई अनगिनत आंखें

झांकती हैं खिड़कियों से

और अगले ही पल

तैरने लगते हैं चमगादड़ हवाओं में 


अंधेरे को चीरता रुदन दे जाता है

बर्फीली सिहरन

चांद के माथे कलंक सा

भेड़िया

खा गया है मेरे खरगोश को


उतर आते हैं धीरे धीरे धरती पर

बेनाम, लहराते साए

मानो अपने पंख

समेट लिए हैं चमगादड़ों ने।


   


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