लंगड़ा - बंगडा भूत
लंगड़ा - बंगडा भूत
काली काली रात थी,
डरने की बात थी।
चमगादड़ उल्टा लटका था,
टेढ़े पेड़ पर अटका था।
लंगड़ा भूत इंतज़ार में था,
बंगड़ा भूत भी तैयारी में था।
हवा तेज़ - तेज़ चल रही थी,
बरगद की दाढ़ी हिल रही थी।
अचानक बिजली चमकी,
जैसे हो एक धमकी।
टिप- टिप बरसा पानी,
भूतों को याद आ गई नानी।