विषय आत्महत्या
विषय आत्महत्या
अब वो दिन दूर नहीं जब
मैं मृत्यु शैय्या पर सो जाऊं।।
विस्मय पूर्ण इस जग से तब
ओझल सी होकर खो जाऊं।।
अब वो दिन दूर नहीं जब
मैं मृत्यु शैय्या पर सो जाऊं।।
अहंकार ना कर प्राणी इस तन
का
यौवन से भी कुंठा स्थिति पाऊं।।
अब वो दिन दूर नहीं जब
मैं मृत्यु शैय्या पर सो जाऊं।।
देह त्याग कर दूं हंसते हंसते जाना
पति वियोग में आत्महत्या कर जाऊं।।
अब वो दिन दूर नहीं जब
मैं मृत्यु शैय्या पर सो जाऊं।।
पिया बिन कैसा शयन शैय्या पर
मुक्ति पाने भटकूं देवतन के घर।।
अब वो दिन दूर नहीं जब
मैं मृत्यु शैय्या पर सो जाऊं।।
पति से प्रीत धरे वो प्रियतमा कैसी
प्रतिपल ये जीवनी आत्महत्या जैसी।।
डॉ नताशा कुशवाहा
जिला मंडला मध्य प्रदेश
