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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Romance Tragedy

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Romance Tragedy

पतवार तुझे माना हमने

पतवार तुझे माना हमने

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तूने मझधार में छोड़ा मुझे,

पतवार तुझे माना हमने,

तूने प्यार में छोड़ा दगा दे मुझे, 

तुझपर ऐतवार किया दिल ने।


तू नहीं तो तेरी याद सही गले लगाने को,

उम्र भर का साथ नहीं तेरा प्यार पाने को।

मत कर दगा लौटा वफा,

तेरे नाम से है दिल जिंदा।


देख मेरे साथी दिल दरिया है,

तेरे तसब्बुर का जरिया है।

अब दिल नहीं लगता तेरा,

जो कभी तन्हा रातों में जगता,

पाकर मुझे सोते नहीं थे तबतक,

जबतक जी नहीं भरता था तेरा।


हां मेरी रुह मेरा दिल रोने लगता है,

गुजरे पलों की याद में जलता है,

अक्सर मेरा दिल यादों के साये में,

तेरी बाहों को तड़पने लगता है।


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