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Madhu Bhutra

Tragedy

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Madhu Bhutra

Tragedy

बाल मजदूर

बाल मजदूर

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कौन से जीवन का कसूर 

भाग्य क्यूँ हुआ यूँ मजबूर

नासूर बना संसार का चक्र 

हवश हताश बाल मजदूर 


बेचते राह पर रंगीन गुब्बारे

ये है ज़मी के टूटे बिखरे तारे 

बेहाल बदहाल व फटेहाल 

जिंदगी से तंग होते सारे 


छोटू दो कप चाय लाना

इन शब्दों से रिश्ता पुराना

नन्हें हाथों में जूठे बर्तन

यह दृश्य देखा बड़ा पुराना 


गरीबी शोषण बचपन लाचार 

मानवीय कलंक चेतना पुकार 

निरक्षरता स्वार्थी सोच बनाता

जीवन पर्यंत इनको कामगार


बालश्रम परिश्रम कारागृह

नोंचते क्रूर हाथ ज़ालिम गृह 

अमानवीयता चरम सीमा पर 

खोखली प्रगति का समन्वय 


अधखिले फूल इन्हें मत तोड़ो

उड़ने दो आसमाँ में मत रोको

किताबें हाथों में देकर पढ़ने दो

शिक्षित नागरिक बस बनने दो।



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