सब कुछ बदल गया है
सब कुछ बदल गया है
सब कुछ बदल गया है
नहीं बदला तो ये सूरज
हर सुबह हमें जगाता है
नई ऊर्जा भरकर हमको
प्राण संघर्ष सिखाता है।
सब कुछ बदल गया है
नहीं बदली तो ये गौरैया
कलरव राग सजाती है
कोमल पंख को फैलाकर
आसमां में उड़ जाती है।
सब कुछ बदल गया है
नहीं बदला तो ये चाँद
हर रात खिल आता है
अपनी शीतलता देकर
हर मन को लुभाता है।
सब कुछ बदल गया है
नहीं बदला तो ये मेघ
झर-झर बरस जाता है
ख़ुशी मिलन के आंसू
रोम-रोम तर जाता है।
सब कुछ बदल गया है
नहीं बदला है तो ये वृक्ष
हरित धरा ख़ुशी लाता है
सुखद छांव बसेरा देकर
दिव्य औषधि बनाता है।
सब कुछ बदल गया है
नहीं बदली तो ये मिट्टी
माँ का रूप दिखाती है
घरौंदे का अस्तित्व बन
गोद में प्रेम जताती है।
सब कुछ बदल गया है
नहीं बदला तो ये जीवन
रुको नहीं सिखलाता है
मुसाफ़िर बन रहो जग में
जन्म-मरण का नाता है।
