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Mukesh Kumar Modi

Tragedy

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Mukesh Kumar Modi

Tragedy

क्यों नारी को नीर मिला

क्यों नारी को नीर मिला

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पुरुषों की पौरुषता से क्यूँ नारी को नीर मिला

जीवन देने वाली को फटा हुआ क्यूँ चीर मिला

सहकर हजारों यातनाएं कभी नहीं वो बिखरी

उसके त्याग तपस्या की आभा हर दिन निखरी

उसे जहर के बदले में क्यूँ ना प्याला खीर मिला

पुरुषों की पौरुषता से क्यूँ नारी को नीर मिला


पुरुषों ने अपने गुरूर में हर मनचाहा काम किया

छोटी सी भूल पर सबने नारी को बदनाम किया

क्यूँ केवल नारी को मर्यादाओं का जंजीर मिला

पुरुषों की पौरुषता से क्यूँ नारी को नीर मिला


आंखों से बहते आंसू में भी उसको मुस्काना है

बहानों के आंचल में हर दर्द भी उसे छुपाना है

जाने क्यों नारी को ये काम बड़ा गम्भीर मिला

पुरुषों की पौरुषता से क्यूँ नारी को नीर मिला


मर्यादा के आँचल में हर पल वो खुद को छुपाये

कीचक समान लोगों से वो खुद को कैसे बचाये

क्यों पुरुषों से नारी को कुदृष्टि का तीर मिला

पुरुषों की पौरुषता से क्यूँ नारी को नीर मिला


अपनों के सुख की खातिर नारी ने नींद गंवाई

अपनों से ही तानों के रूप में निंदा नारी ने पाई

सबकी खुशी के लिए मन उसका अधीर मिला

पुरुषों की पौरुषता से क्यूँ नारी को नीर मिला


माँ बहन बेटी समझकर नहीं बनता कोई रक्षक

फैल गये चारों तरफ देखो नारी जाति के भक्षक

नारी की रक्षा करे जो कोई ना ऐसा वीर मिला

पुरुषों की पौरुषता से क्यूँ नारी को नीर मिला

*ॐ शांति*


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