नाश्ता मिले तो समझो परायापन। खाना मिले तो अपनों का अपनापन।। नाश्ता मिले तो समझो परायापन। खाना मिले तो अपनों का अपनापन।।
जीवन का दर्शन कराती यह कविता मनुष्य को उसके अस्तित्व के बार में बताती है । जीवन का दर्शन कराती यह कविता मनुष्य को उसके अस्तित्व के बार में बताती है ।
मैं रोशनी का सलार हूँ । मैं रोशनी का सलार हूँ ।
मैं भी चट्टान का जो बेटा हूँ...! मैं भी चट्टान का जो बेटा हूँ...!
माँ के खो जाने का ग़म.................... माँ के खो जाने का ग़म....................
थोड़ा बेचैन हूँ मैं,ज़रा सी प्यास मन में है।लौट कर गांव से अपने,सपनों के शहर में आया हूँ। थोड़ा बेचैन हूँ मैं,ज़रा सी प्यास मन में है।लौट कर गांव से अपने,सपनों के शहर में आ...