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जुनून

जुनून

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ओढ़ा दो रौशनी मुझको,
अँधेरा कर के आया हूँ।
ज़रा सा थक गया हूँ मैं,
लंबे सफर से आया हूँ।
आँखों में नींद है छायी,
ज़रा सा होश खोया है।
पर जुनून इतना है,
कि खुद से लड़ के आया हूँ।
थोड़ा सा वक़्त देके तुम,
बस देख लो इतना।
कितना बोझ लादे मैं,
अपने सर पे आया हूँ।
थोड़ा बेचैन हूँ मैं,
ज़रा सी प्यास मन में है।
लौट कर गांव से अपने,
सपनों के शहर में आया हूँ।


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