ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
कभी मुश्किल कभी आसान दिखती है,
ज़िन्दगी हर दुकान बिकती है।
अजीब-सी खनक है इन सिक्कों में,
खरीदो तो पहचान बिकती है।
हर मोड़ पर बैठे है धर्म के सौदागर,
तभी तो यहाँ गीता और कुरआन बिकती है।
खुशियों की बोली लगती है,
गम तो यूँ ही ख़रीदे जाते हैं।
भूख कभी खत्म ही ना होती,
रोटियाँ तो सुबहोशाम बिकती हैं।
गर्मी में बर्फ़ बिकती है,
ठंड में कम्बल खरीदे जाते हैं।
पैसे हैं तो ही ज़िन्दगी है,
वरना मौत भी सरेआम बिकती है।
कहीं नफ़रत का सौदा है,
कहीं है प्यार की कीमत।
अजीब-सी मंडी है ये दुनिया भी,
यहाँ हर चीज खुलेआम बिकती है।