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जैसे मैं तृप्त होता हूं हर सुबह मैं चमकता हूँ सूरज से भी ज्यादा! जैसे मैं तृप्त होता हूं हर सुबह मैं चमकता हूँ सूरज से भी ज्यादा!
ये जलाता है फिर लजाता है क्योंकि तुम सुनहरी धूप से जन्मीं हुई सोना हों। ये जलाता है फिर लजाता है क्योंकि तुम सुनहरी धूप से जन्मीं हुई सोना हों।
मैं तो उन बारिशों में अपनी आत्मा को भिगो आता हूँ, मैं तो उन बारिशों में अपनी आत्मा को भिगो आता हूँ,
मेरे अंदर भी एक परिंदा है, मेरे मन का परिंदा मेरे अंदर भी एक परिंदा है, मेरे मन का परिंदा
मैंने धारा का ठहराव भी देखा, जिसमें कोई गति नहीं मैंने धारा का ठहराव भी देखा, जिसमें कोई गति नहीं