ठहराव
ठहराव
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एक अनिश्चति गति में नदी की बहती हुई धारा देखी,
सिर्फ आगे बढ़ जाने की जिद्द लिये बहती धारा
जो भी आगे बढ़ना चाहे वो बहती धारा के पास बैठे
मैंने धारा का ठहराव भी देखा, जिसमें कोई गति नहीं
एक साम्य, निर्वेद, शांत साधना में लिप्त अपने में पूर्ण धारा
जो वक़्त को ठहराना चाहे मेरे साथ इसके पास बैठे
दोनों ही जिंदगी से जुड़ी हुई है
मैं धारा का ठहराव देखता हूँ,
स्वयं को एक साधना में लिप्त पाता हूँ मेरे शब्द,
ज्ञान, और योग सब यही ठहरते है
मैंने जाना गतिमान से ज्यादा अच्छा गतिहीन होना है।
