प्यास
प्यास
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उसके लबों से अल्फ़ाज़ नहीं
बंजर ज़मीन की प्यास बुझाने वाली
बारिश की बूंदें बरसा करती है,
जिन्हें भिगोना आता है,
बहुत भिगोना..
मैं तो उन बारिशों में
अपनी आत्मा को भिगो आता हूँ,
फिर उसे सुखाने के लिए
तुम्हारी गर्म श्वास के हवाले कर देता हूँ
गीली आत्माओं में ज्यादा प्रकाश नहीं होता,
वो तुम्हारे अंदर छिपे अंधकार में खोना चाहती है