आज के बच्चे
आज के बच्चे
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आज के बच्चे।
उम्र के कच्चे।
पर अनोखे हैं।
ज्ञान सोखे हैं।।
वीडियो, टीवी।
फोन औ लैप्पी।
सब खिलौने हैं।
यंत्र बौने हैं।।
तोतली बोली।
यों लगे भोली।
सुन मगर बातें।
होश उड़ जाते।।
ये बताते हैं।
अब सिखाते हैं।
विज्ञ बन बैठे।
फिर रहे ऐंठे।।
जिद करें भारी।
मति गई मारी।
उफ!कहे क्या जी।
रब रखे राजी।।