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Mani Aggarwal

Others

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Mani Aggarwal

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उस्न का लुत्फ

उस्न का लुत्फ

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दूर से देख कर मुस्कुराते रहो

दिल की बेचैनियों को बढ़ाते रहो

हमको अंदाज़ ये भी गवारा सनम

बस मिलो रोज चाहे सताते रहो


धूप जाड़े की बेहद सुकूँ दे रही

उड़ती जुल्फों को रुख से हटाते रहो


थी इसी दीद की कब से शौके-तलब,

तुम भी मुश्ताक थे कुछ जताते रहो


अपनी पुरकैफ नजरों से मय जनेजां

 होश बाकी रहे यूँ पिलाते रहो


अब तो आने लगा डूबने में मज़ा

तैरने का हुनर ना सिखाते रहो


वक्त को कौन फिर मोड़ लाया 'मणि*

हुस्न का लुत्फ बढ़ कर उठाते रहो।



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