खुद को स्वयं बचाना होगा
खुद को स्वयं बचाना होगा
कब तक लुट जाने की दहशत-
से डर कर सहते रहना है?
खुद की ताकत को पहचानों,
कहो, और क्यों अब सहना है?
कठिन वेदना सह कर जिनको,
अगर जगत में ला सकती हो।
वही बढ़े जो मान हरण को,
सबक तुम ही सिखला सकती हो।
मत भूलो इतिहास स्वयं का,
याद करो उन ललकारों को।
जिनसे तुमने दहलाया है,
जाने कितने मक्कारों को।
निज रक्षा को शस्त्र उठाओ,
माँग समय की अगर यही है।
<p>खुद को सक्षम करना होगा,
दूजी कोई डगर नहीं है।
डर से मूक बने जो दर्शक,
लज्जा से उनको गड़ने दो।
सिखा कराटे हर बच्ची को,
दुष्टों के चाँटा जड़ने दो।
उनको नोंच निकालो बाहर,
जिन आँखों में हवस भरी हो।
उस काया को चीर फेंक दो,
भोगासक्ति जिसमें भरी हो।
वक्त पड़े मिलते कब साथी,
खुद को स्वयं बचाना होगा।
काली, चण्डी, दुर्गा हो तुम,
अधमों को समझाना होगा।