यात्रा
यात्रा
खिलता हॅसता बचपन, पहुंचता जवानी की दहलीज पर।
उतार चढाव जिंदगी के देखता और समझता।
एक यात्रा ऐसी भी जिसमें तय करता जिंदगी का सफर,
गिले शिकवे करता कभी, कभी ढूंढता अपने को।
ऊॅची चट्टानों सा अडिग खड़ा,कठिनाइयों से नहीं डरा,
यात्री है वो यात्रा का, जिंदगी की कलम से सफरनामा अपना लिखा।