एलियन
एलियन
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नये ग्रह का एक प्राणी, आती नही समझ जिसकी वाणी।
देखने में हमसे अलग दिखता है, एलियन खुद को कहता है। ।
धीरे-धीरे चलता है, मौसम सा रंग बदलता है।
धरा और निश्चल ने आज ये मन में ठानी है,
एलियन से सब कहकर बात अपनी मनवानी है।
दोनों सीख रहे उसकी भाषा मन में रखकर जिज्ञासा।
आज उनको समझ आया है एलियन ने सब बतलाया है,
जादू सारे उन्हें दिखाकर एलियन ने घर जाने की ठानी है।
धरा के सुबह ना उठने पर माँ ने तब डाला पानी है।।
स्वप्न अनोखा देखकर धरा को हंसी आयी है,
जल्दी ना उठने पर माँ ने मीठी सी डांट लगायी है।।
