लोहे को लोहा काटता
लोहे को लोहा काटता
लोहा लोहे को काटता ,
मनुष्य को काटे है सोच ,
मन में राखे सोच हैं,
तन में भरे है मोच,।।
लब पे जरा भी लोच नही ,
मुख से गया है ओज,
आंखो से पानी गया ,
मन में रहा न कोय ,।।
लोहा लोहे को काटता ,
मनुष्य को काटे है सोच ,
मन में राखे सोच हैं,
तन में भरे है मोच,।।
लब पे जरा भी लोच नही ,
मुख से गया है ओज,
आंखो से पानी गया ,
मन में रहा न कोय ,।।