STORYMIRROR

usha shukla

Inspirational

4  

usha shukla

Inspirational

जरा ठहरो..

जरा ठहरो..

1 min
506

टूटता है जब दिल स्वयं का,

बड़ी तकलीफ होती होगी,

मगर जब तोड़ते हो दिल अपने मां-बाप का,

तब भी सोचकर देखो,

उनकी क्या हालत होती होगी।

लाख कोशिश कर लें समझाने की,

मगर तुम वही करते होगे,

जो तुम्हारी मर्जी होती होगी।

फिर दोष किसे क्योंकर दोगे, 

जब तुम्हारी हस्ती मिटती होगी।

जरा ठहरो, जरा समझो,

थोड़ा सोचकर देखो,

मां-बाप के विरुद्ध जाकर,

किसको जीत मिली होगी, 

किसने खुशी प्राप्त की होगी ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational