STORYMIRROR

चिता की आग ठंडी होने तक

चिता की आग ठंडी होने तक

2 mins
828


जब ज़िन्दगी में बहुत बड़े बन जाना,

बहुत सारा पैसा कमा लेना,

लोगों की कद्र भूल जाना,

ज़िन्दगी को मैटरलिस्टिक चीज़ों से भर लेना,


खुद को बहुत समझदार समझने लगना,

तुम्हारे पास जब सब कुछ हो,

फिर भी सब खाली-खाली सा लगे,


मेट्रो, अनगिनत लोग, कारों, बारों,

और वो डब्बा जिसे फ़ोन कहते हैं,

उससे मन भर जाए,

महानगर के आलीशान घरों के बीच,

खुद को तलाशने का मन करे,


तो जाना,

किसी श्मशान के पास जाके बैठ जाना,

और सोचना,

जिन चीज़ों को कमाने के लिए,


कितनो को धोखा दिया,

किसी के बारे में नहीं सोचा ,

उसमें से मैं साथ में

क्या क्या ले जाऊँगा ?


फिर दिमाग पर जोर डालना और सोचना

कोई शख्स ऐसा है

जो मरने के बाद तुम्हारी

चिता की आग ठंडी होने तक रुकेगा।


माँ-बाप से पहले मरे तो वो रुकेंगे,

पता नहीं कितना प्रेम होता है उन्हें,

पर कोई बाप अपने बच्चे की लाश,

अपने कंधे पर उठाये,


इससे बड़ा दर्द

शायद ही कुछ और दे पाए,

मैं कभी नहीं चाहूँगा,

किसी के साथ ऐसा हो,


पर उनके बाद मरोगे तो सोचना,

साठ- सत्तर साल की ज़िंदगी में,

क्या एक भी शख्स ऐसा कमा पाए,

जो तुम्हारी

चिता की आग ठंडी होने तक रुकेगा।


एक दिन के लिए कोई भी रुक जाएगा ,

शारीरिक सुख पाने के लिए

तुमसे प्यार का ढोंग रचाएगा,

पर क्या अगली सुबह तुम्हें वो अपना कहेगा,


अगर नहीं तो सोचना

श्मशान की आग ठंडी होने तक कौन रुकेगा

और फिर पछताना की उस शख्श के लिए,

जिस के लिए तुम नहीं रुके थे।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational