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Ashish Kumar Yadav

Tragedy

3  

Ashish Kumar Yadav

Tragedy

तुम सुन रही हो न

तुम सुन रही हो न

2 mins
402


तुमने छोड़ तो दिया है मुझको

पर शायद फिर भी तुम मुझको सुन पाओ

प्रेम लिखने , प्रेम बाटने वाली कलम आज दर्द लिख रही है

वो चेहरा, जो खुशियों की चमक से टिमटिमाता था

जो अपने कॉलेज का सबसे खुश रहने वाला लड़का था

आज उतना ही शांत है

जितना जलती चिता पर लोग होते है

तुम मेरे दर्द को सुन पा रही न

अब मुझे ऐसा क्यों लग रहा

कि अचानक ज़िंदगी से सब खत्म हो गया है

सामने एक नया सफर है

सफलता है , लोग है

पर लगता है कुछ नहीं चाहिए मुझे

तुम सुन पा रही हो न !

मैंने भी ये बेदिली में ये सोचा था

कि तुम्हारे जाने के बाद हम आज़ाद होंगे

दूसरी लड़कियों से फ़्लर्ट करूंगा

और किसी से प्रेम करूंगा

पर शायद ज़िंदगी में प्रेम एक बार ही होता है

और वो मुझे तुमसे हो गया

तुम सुन रही हो न

तुम्हारे इतना कहते ही

कि मै अब तुम्हारे साथ नहीं हूँ

लगता है अब दिल धड़कता ही नहीं है

सांसे चलती है इस बात पर भी शक है मुझे

मै निर्जीव हो गया हूँ

तुम्हारे नाम का मतलब ही प्रेम था

फिर भी तुमने ऐसा किया मेरे साथ,

नशे के खिलाफ रहने वाला

नशे में रहकर इतना नशा किया

कि अब कुछ भी याद नहीं है

और एक तुम्हारा चेहरा है

जो बार बार की कोशिश के बाद भूलता ही नहीं

तुम सुन रही हो न !

मुझे बार बार तुम्हारा वो खत याद आ रहा है

जिसमे तुमने मुझे अपना कहा था

और आखिर तक साथ निभाने का वादा किया था

वो तो इस जहां में और भी रिश्ते है

और भी लोग है , जिन्होंने शायद कभी खत नहीं लिखे

न आखिर तक रहने का वादा

पर वो मुझसे बहुत प्यार करते है

नहीं तुम्हारे जाते ही

ये सांस भी छोड़ के चली जाती

रोज -रोज मरने से तो ये अच्छा था

तुम सुन रही हो न !

पर कोई नहीं , तुम खुश रहना

मेरे पास दर्द , कलम और

तुम्हारे साथ की ढेर सारी यादें

जिनके सहारे में मरते- मरते जी लूंगा

तुम सुन रही हो न !


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