Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Ashish Kumar Yadav

Tragedy

4  

Ashish Kumar Yadav

Tragedy

बदकिस्मत लोग

बदकिस्मत लोग

2 mins
253



हम वो बदकिस्मत लोग थे, 

जो किसी के हुए नहीं, 

और कोई उनका हुआ नहीं। 

हम अपनी गमगीन ज़िन्दगी में ज़िंदा रहे,

सांसे तो ली मगर,

ज़हनी हम मुर्दा ही रहे। 

हम ऐसे लोग थे, 

जिनको साथी तो क्या,

साकी भी न मिला , 

चांदनी रातों में भी हमने,

तन्हा ही मद्यपान किया। 

खुश हम कभी रहे नहीं , 

अपना गम हमने कभी किसी से कहा नहीं ,

अकेले रहे, ज़िंदादिल रहे, 

इस पर कभी गुमान न किया। 

हम वो बदकिस्मत लोग थे , 

जो ज़िंदा तो रहे , 

पर जीवन कभी जिया नहीं। 

चाहते तो ये थे कि हम महफ़िलों कि शान रहें, 

पर ये ख्वाहिशें ऐसी रही,

जो जीवन भर अधूरी ही रहीं। 

महफ़िलों में हमारी कमी कभी खली नहीं , 

तो हम महफ़िलों कभी गए भी नहीं, 

प्यार करना था किसी से हमको, 

हम से वो भी नहीं हुआ , 

न हमने किसी कोसा , 

और न ही किसी के लिए मांगी दुआ, 

भीड़ में भी अकेले ही रहे, 

मंजिले तो मिली नहीं,

सफरों के ही बस झमेले रहे, 

पहुंचना था एक मंजिल पर हमें भी, 

और हमारा रास्ता में ही दम निकला, 

हम वो बदकिस्मत लोग थे, 

जिनकी छतों पर, 

चांदनी रातों में भी चाँद नहीं निकला, 

पर हाँ , जीने को हम जीते ही रहे, 

गम ज़िंदगी ने इतने दिए , 

आधी ज़िंदगी हम उसको सीते ही रहे। 

ज़िंदगी की एक ख्वाइश भी पूरी न हुई, 

मशहूर मौत की चाह थी ,

वो भी अधूरी ही रही , 

हम बदकिस्मत लोग थे, 

जो दिवाली की रातों में भी अकेले रोये, 

यौम-ए-पैदाइश पर भी हम तन्हा रहे, 

धड़कने तो चलती रही , 

पर हम वो बदकिस्मत लोग थे , 

जो शायद ही कभी ज़िंदा रहे। 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy