जब तक तुम नहीं बोलोगी
जब तक तुम नहीं बोलोगी
तुम दबोगी ,कुचलोगी, तब तक ,
जब तक तुम नहीं बोलोगी, एक साथ नहीं बोलोगी
पुरुषवादी समाज की कलई नहीं खोलोगी
लोग तुम्हारी शालीनता को तुम्हारी कमजोरी समझ लेंगे
सामाजिक मर्यादा के नाम पर तुम्हें बांध देंगे
सरस्वती का रूप कहकर ज्ञान की देवी तो बतायेंगे,
पर उसी ज्ञान से तुम्हें दूर करके इठालायेंगे
लक्ष्मी का स्वरुप बताकर धन के देवी कहेंगे ,
फिर बाहर जाकर धन कमाने के लिए मना करेंगे
तुम्हें दुर्गा, काली का अवतार बतायेंगे ,
पर तुमने अगर मांग की अपने बराबरी के अधिकार की ,
तो तुम्हें धर्म, मर्यादा, समाज और संस्कृति के नाम पर चुप करायेंगे
राम के नाम पर तुम्हारी अग्नि परीक्षा लेंगे
सती की संस्कृति बता तुम्हें जलायेंगे
मीरा बनाकर जहर पिलायेंगे ,
तुम्हारी स्वाधीनता ये कहाँ देख पाएंगे ?
पूजा ये राधा- कृष्ण की करेंगे पर ,
तुम्हें किसी महिवाल की सोनी नहीं होने देंगे |
इतने पर ही नहीं रुकते है ये ,
दुनिया को जीवन देने वाली की ,
कोख में ही ये जान भी लेते है
आखिर कब तक इन बंदिशों में रहोगी ,
मायके में पराया धन ,
और ससुराल में पराये घर से आयी ,
जैसी बातों को तुम सहोगी
बस अब बहुत हुआ ,
तोड़ के पिंजरा उड़ जाओ
दुनिया में एक आयाम बनाओ
पर अभी तुम एक हो जाओ
क्योंकि तुम केवल तब तक दबोगी, कुचलोगी,
जब तक कुछ नहीं बोलोगी ,एक साथ नहीं बोलोगी ..