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Praveen Gola

Inspirational

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Praveen Gola

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कृषिराज

कृषिराज

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धरती पर तुम्हारे कदमों की, जब पड़ती धुंधली सी छाप,

लहलहा जाती हैं तब फसलें, अपने ही शोषकों के साथ।

अन्नदाता हो तुम सबके, परिश्रम से हृदय में बस जाते,

मेहनत और प्रबलता से ही तुम, धरती पर कृषिराज कहलाते।

धूप में तपती हुई मिट्टी भी ,तुम्हारे पसीने से होती आबाद,

खुशहाली और उन्नति आ जाती, जहाँ पड़ जाता तुम्हारा हाथ।

कृषि के बिना इस दुनिया में, रह जाएँगे सब भूखे और प्यासे,

हाहाकार मच जायेगा सब जगह, जो खेतों में न होंगे अन्न के बाले।

खेतों में होती लगन तुम्हारी, धन और विद्या से बढ़त सारी,

खुश रहे हमेशा तुम्हारा जीवन, स्वस्थ रहे तन - मन का दर्पण। 

तुम्ही हो भोजन के स्रोत हमारे, देश के विकास में वीर हो प्यारे,

इस देश में सदा ही जय हो तुम्हारी, तुमसे ही देश की बढ़त हो न्यारी।।


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