कृति पताका
कृति पताका
कृति पताका लहराया
विश्व पटल पे जगमगाया
देश की गौरव गाथा का अभिमान कर ले
देशभक्तों ने रक्त से स्वतंत्रता दीप जलाया।
लोहा जैसे चट्टान से टकराया
पत्थरों ने भी अपनी जान गंवाया
इन लहरों का साक्षी महासागर
उंचे पर्वतों ने भी शीश झुकाया।
देशभक्तों की बलिदानी की कहानी
गुनगुना रहा आज हिन्दुस्तानी
देश की स्वतंत्रता का कर प्रण
मन में ठानी और हार न मानी।
स्वतंत्रता की है घनघोर विजय
बोलो देशभक्तों की जय, देशभक्तों की जय।
