फागुन की बहार
फागुन की बहार
खुशियों से भरा हुआ रंगों का त्यौहार है,
द्वेष भावना त्याग दें, तो ख़ुशी अपार है;
गुझिया और मिठाई का रसोई में अम्बार है,
पिचकारी में रंग भरा लिपा-पुता घरबार है!
फागुन आने को है मस्ती छाई हुई है तभी ,
धूल उड़े ठंडक गई बंसती ऋतु आई अभी!
नये-नये पत्ते उगे, पतझड़ में जो उजड़े कभी,
होली को है कुछ समय, तैयारी कर रहे सभी!