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Ashish Kumar Yadav

Drama

3  

Ashish Kumar Yadav

Drama

घर लौट जाने का मन करे तो बताना

घर लौट जाने का मन करे तो बताना

3 mins
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तुम जो लोग बड़े-बड़े शहरों में रहते हो,

उबर और मेट्रो से आते-जाते हो,

समय के पाबंद हो,

ट्रैफिक में दो-दो घंटे बिताते हो।


तेज़ रफ्तार में आगे बढ़ते ही जाते हो,

बॉस की डाँट को नज़रअंदाज़ करते हो,

बड़ी-बड़ी इमारतों के छोटे-छोटे

अपार्टमेंटों में जो रहते हैं,


अकेले-अकेले हँसते और

अकेले ही रोते हैं,

कभी इस भागते शहर में,

अपनी तेज़ रफ़्तार में,


चंद पलों के लिए समय मिले,

तो ठहरना और सोचना, कैसा लगता है,

मुड़ के देखना कि क्या पाया है,

और क्या-क्या खो दिया है।


याद तो आता होगा न,

अपने शहर का पुश्तैनी मकान,

अपना नर्सरी वाला स्कूल,

पुराने दोस्त, कुछ रिश्तेदार,


कुछ रुके हुए हँसी ख़ुशी के लम्हे,

जहांँ तुम खुश तो थे,

अगर कभी याद आये तो बताना,

यहाँ तो दौड़ है सुबह से शाम की,


खुद को रोज बेहतर

साबित करने की जद्दोजहद है,

बैठ के सोचने का समय भी नहीं दिया,

इन महानगरों की खोया-पाया का

हिसाब लगा पाया जाय,


पर कभी इस तेज़ रफ्तार से समय मिले,

पैसों से जी भर जाय,

बड़े अपार्टमेंटों के छोटे से दो कमरे

काटने को दौड़ने लगे,


आस-पास अपने लोग नज़र न आये,

तो थोड़ा ठरहना, सम्भलना और बताना,

कि इन महानगरों के क्या दिया है और

क्या दूर किया ?


तब तक दौड़ते रहो,

इस अंधी दौड़ में,

किसी अनजानी मंज़िल के लिए,

अगर कभी मंज़िल नज़र आ जाये तो बताना,


ट्रैफिक में तेज़ हॉर्न मारते हुए,

अपने शहर की गलियाँ याद आ जाये,

और चेहरे पर हल्की सी मुस्कान

दौड़ जाये तो बताना,


जब किसी बड़े से रेस्त्रां की,

शानदार सी टेबल पर बैठे हो,

और अचानक माँ के हाथ से बने,

पराठे की तलब बेवजह लग जाय तो बताना,


उस शहर में जहाँ लोग तुम्हें तुम्हारे

पिताजी के नाम से जानते थे,

कुछ लेने जाओ और बड़े प्यार से लोग

सामान दिखाते थे,


उसके बाद मोल-भाव के समय

लाचार न होते हुए भी लाचारी दिखाते थे,

यहाँ जब मॉल में जाओ,

और अकेले कुछ पसंद न कर पाओ,

और अचानक पिताजी के याद सताए,


जेब में तमाम पैसे पड़े हो

और फिर भी खुद को

लाचार पाओ तो बताना,

टिंडर पर राइट स्वाइप करके,

किसी के साथ डेट पर बैठे हो,


और अचानक से स्कूल का वो पहला प्यार,

जिससे तुम महीने भर बात करने की,

हिम्मत नहीं जुटा पाए थे,

याद आ जाये तो बताना,


कभी इतनी रफ़्तार भरी ज़िंदगी से,

खुद के लिए थोड़ा सा समय मिले,

किसी से बात करने का जी करे,


इन महानगरों से

जब तुम थक जाओ,

और घर लौट जाने का

मन करे तो बताना।।


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