शिव पार्वती
शिव पार्वती
एक शिव जी ने गरल पिया,
समग्र विश्व में नाम किया,
पीढ़ियों से चला आ रहा गुणगान,
प्रसिद्ध हो चला नीलकंठ नाम,
न जाने कितनी पार्वतियाँ---
विष के घूंट नित पीती हैं,
चेहरा हो या कंठ----
उजागर न कर, मर-मर के जीती हैं,
गले ही नहीं, तन पर भी विषधर लपेटे,
इस किस्से को कौन देखे?
पार्वती तुम "बेनाम" ही मरती रहो,
मत कहो अपनी व्यथा---
किसी से मत कहो।
