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Om Prakash Fulara

Inspirational

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Om Prakash Fulara

Inspirational

पिता की सीख

पिता की सीख

2 mins
258




बेटी के हाथ अपने जो पीले मैं कर रहा

अपने हृदय के टुकड़े को जुदा मैं कर रहा

गम नहीं खुशी है मुझको देख के ये पल

बेटी सजाने जा रही अपना नया ये घर

उम्मीद है खुशियों की हो नही तुझे कमी

बस यही सब सोच कर विदा मैं कर रहा।


जाने से पहले मैं तुम्हें बस इतना कहता हूँ

सुन लो मेरी कुछ काम की बाते मैं कहता हूँ

करना सदा तू सेवा अपने ससुर सास की

जैसे करे तू अब तक अपने माँ बाप की

जीवन तुझे बिताना है अब उनकी छाँव में

मान उनका रखने को विदा में कर रहा।


पति की सेवा ही तेरा अब धर्म हो सदा

जान लेना अच्छे से रिश्ते की मर्यादा

भूलकर भी मन कभी भटके न अब तेरा

मान दो घरों का रखना फर्ज है तेरा

सदा रहेगी खुश यही उम्मीद है मेरी

बस यही सब सोच के विदा मैं कर रहा।


एक बात जो कहना मैं तुमसे भूल से रहा

उस बात को कहता हूँ तुम ध्यान से सुनना

समाज आजकल हमारा कुछ बदल गया

लालच में बेटियों पे अत्याचार हो रहा

तू भूल कर कभी भी अत्याचार न सहे

बस यही उम्मीद पर विदा मैं कर रहा।


बेटी तू अपना हर धर्म व फर्ज निभाना

पर कभी तू किसी झांसे म न आना

अन्याय अत्याचार तू कभी न सहेगी

हर कठिन समय का तू करेगी सामना

अधिकार अपने जानकर कदम बढ़ाएगी

बस यही सब सोचकर विदा मैं कर रहा।

अपने हृदय के टुकड़े को विदा मैं कर रहा।


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