बदलता कश्मीर
बदलता कश्मीर
आखिर समय बदला, बदली कश्मीर की तस्वीर
हटी धारा 370 और टूटी निराशाओं की बँधी जंजीर
दहशत भरी हवा जैसे हुई घुटन से अब आज़ाद
वर्षों की तड़प की बेड़ियां तोड़ने की पूरी हुई फरियाद।
सियासती दाव - पेंच पर कब तक करते सौदा यहाँ
ट्यूलिप की महक संसार में फैलने से कोई रोक पता कहाँ
शालीमार के बागों में, चश्मे - शाही के निर्मल पानी में
शंकराचार्य मंदिर की घंटियां, हरी पर्वत के तिरंगे का समाँ।
G20 सम्मेलन ने जग में स्थापित की सौन्दर्य - कश्मीर
डल झील के शिकारे होंगे गवाह बदले मौसम -ए -तहरीर
गुलमर्ग की सफ़ेद पहाड़ियाँ, सोनमर्ग का विस्तृत किनारा
बेफिक्र, बेखौफ़ आकर लेते पर्यटक कशिश भरा नज़ारा।
अपनों के साथ मोहब्बत से गुजरे जीवन चाहते हैं सभी
मौत के हवाले कर कौन मुस्कुरा कर जी सकता है कभी
सब चाहें हो उज्ज्वल भविष्य सपना ये पूरा होगा तभी
आखिर कबतक तक झेलम में रहेंगी दर्द की चीखें दबी।
और ना रहे इसके आसमान पर आतंक के काले बादल
शिक्षा की ताकत से ही चमकेगा सूरज जरूर अब यहाँ
मन के मुरादों की होगी पूरी होकर रहेगी सुनवाई अब
और ना रहे कोई चुप - ख़ामोश डरी हुई किसी की जुबां।
लग जाती है अक्सर खूबसूरती को नज़र
ज्ञान ही बनेगा काला टीका अब यहाँ
ना घुटन, ना कोई सिसकी निकलेगी
खेलेंगी मोहब्बत से सजी ये गुलिस्तां।
