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Meenakshi Kilawat

Romance

5.0  

Meenakshi Kilawat

Romance

सपनों में खोया

सपनों में खोया

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तेरे ही सपनों मे खोया तुझको

हर तरफ ढूँढता रहता हूँ

तेरा साथ नहीं मिलता तो

शर्म से मैं खुद ही शर्मा जाता हूं।।


हर समय तुझको सपनों में देखता

आंहे भरता मुस्कुराता हूं

ना पड़ता प्रेम में तो अच्छा था

ऐसा मेरे दिल को कहता हूं।।


प्रिये मैं यहां तुम वहां ऐसे

कितने दिन चलेगा

सपने देखकर सपनों में ही

कितने दिन मन बहलाउंगा।।


याद करता हूं तुम्हें मन को

बहुत अच्छा लगता है

भाव विभोर होकर

समुंदर में तन मन से डूबता हूं।।


आ जाओ तुम सामने मेरे

बहुत हो गया है बहाना

ना आओ तो ऐसा करो तुम

बंद कर दो सपनों में आना जाना।।


सपनों में भी नहीं लगता

तुम ऐसा करोगी मेरे साथ में

लगता है मैं ना रहा मेरा

अब तो तेरा ही हो गया हूं।।


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