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साँस तो ले लूँ...

साँस तो ले लूँ...

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समुद्र के बीच कश्ती डूब रही है मेरी,

किनारे पर जाने खातिर हौसला तो भर लूँ,

ज़रा साँस तो ले लूँ, साँस तो ले लूँ।


लग ही जायेगी इक दिन

मेरी कश्ती किनारे से

नीले आसमां को ज़रा

नजरो से निहार तो लूँ


सरसर बहती हवाएं

तूफानी कहर का नज़ारा

इस कुदरत का करिश्मा

मैं ज़रा देख तो लूँं।


जिंदगी का क्या भरोसा

निकल न जाये हाथ से

निकल जाने से पहले जरा

पतवार खेंच तो लूँ।


छेद भी हो गया मेरी कश्ती में

पानी आ रहा पाँव में

गुदगूदाने लगा पानी तलवों में

जरा पांव धो तो लूँ।


परवरदिगार कोशिशें तो मैं

कर रहा हूँ अब तक

जाने से पहले उपरवाले को

याद कर तो लूँ।


यह कैसा करिश्मा ए तुफान

तू कैसे ठहर गया

अभी मैं थका नहीं ज़रा

कश्ती किनारे लगा तो लूँ।


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